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Friday, October 4, 2013

ज़िंदगी से प्यार...

Image source: Google

ना जाने क्‍यूं ,
ये ज़िंदगी,
हर बार,
एक नया पहलु दिखाती है,
मन में उठ रहे,
ना जाने कितने सवालो को,
अपने  ढ़ंग से ही समझाती  है,
अगर समझ सको- तो समझ लो इसको, 
वर्ना इसका क्या है,
ये तो चलती ही जायेगी...
बंद आँखें- खुलेगी  तो सही,
मगर- तब तक ये ज़िंदगी,
शायद- हाथ से निकल जायेगी !
तो उठो और गले से लगाओ इसे,
अपने गमो को मिटाकर,
एक नया आगाज़ करो
थोड़ा वक़्त निकालकर,
अपनी ज़िंदगी से भी प्यार करो!
बस थोड़ा वक़्त निकाल कर- अपने आप से भी प्यार करो !

-मिथिलेश झा 

2 comments:

  1. Replies
    1. Thanks Sujatha, I guess after a long time I am getting your comment. :)

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