सीधी सी लगने वाली ज़िन्दगी ,
ना जाने, क्यूँ अपना रुख;
हर वक़्त बदलती है !
हर तरफ उड़ने वाली
हवा ,
पता नहीं, क्यूँ नहीं आँखों से नहीं दिखती है !
ना जाने आयी कितनी ही आँधियाँ,
और न जाने, क्या - क्या मेरा ले गयी...
इतना कुछ होने के बाद भी ,
ए-खुदा...
हर हालात में,
ना जाने क्यूँ ,
मेरी रूह, तुझपे ही ऐतबार करती है...
Image courtesy: Google
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