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Thursday, October 18, 2012

बलात्कारी Chowmein...

Image: Google.





एक  दिन  मन  में  ,
अचानक  ही  ये  ख्याल  आया ,
Chowmein   खाने  के  लिए,
अनायास  ही  मन  ललचाया!
फिर  उसके  बाद ,
अपने  दोस्त  से  मैंने कहा ,
चलो  चलकर  कहीं  Chowmein   खाए ,
दोस्त  मेरा  बोला,
मुझे  डर  है,
कहीं  हम... rapist ना बन  जाए.
सुनकर  बड़ा  अचम्भा  हुआ !
उसकी  ये  बात,
मैंने  कहाँ  , क्या  हुआ  तुम्हे,
क्यों  करते  हो  ऐसे  बात ?
जवाब  आया  उसका,  और  कहा,
मेरे इस देश में
खाप की एक ऐसी भी दुनिया बसती है,
जिसके कहने पर ,
ना जाने कितनी दुनियाएं
उजडती है !
और अब ना जाने ,
क्यूँ इन्होने ऐसा फ़रमाया है,
Rape का ज़िम्मेदार,
अब इन्होने,  Chowmin खाने वालो को बतलाया है !
इसलिए कहता हूँ ,
ना खाओ इस Chowmin को ,
कहीं हमसे भी कुछ गड़बड़ ना हो जाये
खाते हुए Chowmein हमें,
कहीं पुलिस पकड़ ना ले जाए,
अगर ऐसा होगा,
तो हम कहीं के नहीं रह जायेंगे ,
बेफालतू और बेफिजूल में ,
हम भी बलात्कारी कहलायेंगे...
       ~मिथिलेश झा ~

Saturday, October 6, 2012

Leaf Story...

Image courtsey: Google.



Leaf story,
born and brought up,
upon a tree.
On beautiful branches,
played with wind.
sometime tender,
sometime adventurous,
sometime silent with the wind.
To entertain you ,
fruit and flower too arrived
Birds  made their nest
Hatched life, in front of you.


Now every leaves are pleading
to their mom,
Now, they want to travel all alone.
Mom convinced them-who was actually a tree
Let the right time come
And don’t worry,
I am prepared ,
to set you all free,
I don’t have any problem,
Because I am a Tree…
    
     ~Mithlash Jha~

Thursday, August 23, 2012

Monsoon Story...









After observing,

condition of earth,

God felt sad…

Because trees on earth were dirty,

and thirsty.

They haven’t taken bath for long,

Scorching sun... made them pale.

Then god called  Rain,

To demand an explanation,

on deteriorating condition of earth,

Rain made an excuse

She said, “I was ready

but I didn’t  get  signal

To go ahead”.

God said to rain 

“Now you are mature 

And can feel the pain- of earth,

No need to wait for a signal

And don’t play this blame game”

I  am reserving a special season for you

Where only you will play your game

You can start your season from the month
Of June,

People will lovingly call you,

Here comes monsoon!

            ~Mithlash Jha~

Image courtesy: Google.

Tuesday, August 21, 2012

                                      Darkness of my heart is pleading for light,
                                      I know, the candle is  inside me, but I fear to give it light.


                                                                                    ~Mithlash Jha~

                      
                                               

Tuesday, August 14, 2012

आजादी की शुभकामनाये !





भारत की आजादी का 65वा वर्ष यानी हमारी आजादी को  पचास वर्ष से ऊपर हो चुके है ! इन पूरे पेंसठ   सालो में हमने  कोई कसर नहीं छोड़ी अपने भारत को फिर से  सोने की चिड़िया नाम देने में ! आज हमारी सोच में बदलाव है , परिवक्वता है और वो सारी खूबियाँ मौजूद है जोकि आसमान की ऊंचाई छूने के लिए होनी चाहिए , और शायद यही सपना हमारे उन स्वतंत्रता सेनानियो का भी होगा जिन्होंने अपनी देश की आजादी के लिए हँसते-हँसते  अपने प्राणों की आहुति दे दी ! इन सब के बीच हमारे देश को आजादी  तो  मिली, मगर शायद हम अपने ही  दिल को आजादी नहीं दिला पाए और आज, हमने अपने दिल को  इतना प्रदूषित कर लिया है की प्रेम शब्द अर्थहीन होता जा रहा है ! आज अगर हमारे दिल में कुछ है तो वो है घृणा, अहंकार , इर्ष्या और ना जाने क्या क्या और कोई चाह कर भी इस मलिन दिल को खूबसूरत बनाने में असफल रहता है  और अगर कोई  इसको ख़ूबसूरत बनाने की कोशिश करता है तो शायद हम अनायास ही उसपर हँसते है ! ये हमारे आधुनिक भारत की विडंबना है की , आधुनिक भारत कहलाने के बाद भी आज दुनिया हम पर हस्ती है चाहे वो किस्सा भ्रसटाचार का हो या काला धन वापिस लाने का या वो तस्वीर जिसमे महिला की अस्मत से खेलते वो हैवान नज़र आते है !

लेकिन इन सब के बावजूद इस भारत देश में आशा की किरण अभी भी बाकी है और वो बाकी तब तक रहेगी जब तक समाज में होने वाली हर बुराई का हमारी नयी पीढ़ी विरोध करती रहेगी और हर उम्दा कोशिश करेगी की हमारे भारत को एक नयी पहचान मिले और ये कोशिश तभी सफल होगी जब हममे से हर हर एक शख्स एक दुसरे की लिए अपने ह्रदय प्रेम का भाव रखेगा और ये तभी संभव होगा जब हम अपने दिल को आजादी दिलाने के बारे में सोचेंगे !
मन में इसी आशा के साथ सबको आजादी की शुभकामनाये !
जय हिंद !
~मिथिलेश-

Monday, August 13, 2012

Happy Independence Day!!




ना जाने  कितने  लोगो  ने ,

भारत  की  आजादी  को  अंजाम  दिया ,

कुछ  ने  अपना  खून  बहाकर,

कुछ  ने  अपने  शीश कटाकर,

घुटन  से  भर  चुकी,

जिंदगी  को,  

उड़ने  का  अरमान  दिया!

ना  जाने  कितने  लोगो  ने ,

भारत  की  आजादी  को  अंजाम  दिया …

तिरंगे  का  सर  ऊँचा  करने  वाले,

इतिहास  की  चादर  ओढ़  चुके  है ,

बेवक्त अलविदा  कहने  वालो  ने ,

बड़ा ही  ख़ूबसूरत  ये  काम  किया!

ना  जाने  कितने  लोगो  ने , भारत  की

आजादी  को  अंजाम  दिया ....
          ~मिथिलेश~
P.S: Image courtesy: Google
 

Faith...







सीधी  सी  लगने  वाली  ज़िन्दगी ,

ना जाने,  क्यूँ  अपना  रुख;  

हर  वक़्त  बदलती  है !

हर  तरफ   उड़ने  वाली  हवा ,

पता  नहीं,  क्यूँ  नहीं   आँखों से नहीं दिखती है !

ना  जाने  आयी  कितनी  ही  आँधियाँ,

और  न  जाने,  क्या - क्या  मेरा  ले  गयी...

इतना  कुछ  होने  के  बाद  भी , 

ए-खुदा...

हर  हालात  में, 

ना जाने क्यूँ ,

मेरी  रूह,  तुझपे  ही  ऐतबार  करती  है...

Image courtesy: Google

Wednesday, June 27, 2012

लम्हा ...

ना तो  वो  लम्हा  रहा ,

मेरे  साथ ,

और ना  ही  वो  ज़ज्बात ,

एक  ही  चीज़  जो  नहीं  गयी  रूह   से ,

कितनी  बेदर्द होती  है  ये  याद !

कोशिश  तो  बहुत   की,

हमने  उन्हें  भूल  जाने  की ,

तुम  साथ  नहीं  हो,

मेरी  रूह  को  नहीं  है  ऐतबार !

शायद  पाकर   खोना  उन्हें ,

ये  मेरा  नसीब  था ,

हाथो  पे   लिखना  नाम ,

वो  दिन  भी ,

कितना  अजीब  था !

मालूम  न  था ,

कागज़  की  कश्ती की  तरह ,

ये  प्यार भी  पानी  की  आगोश  में  समां  जायेगा ,

और  मेरी  आँखों  में ,

सिर्फ  आंसुओ  का  दरिया  छोड़  जायेगा ….

Wednesday, June 20, 2012

मोहब्बत होने लगी है …






                                       
अनसुलझी   गुत्थी  जीवन  की ,

अब  शायद  सुलझने  लगी  है ,

इतनी  लम्बी  रात  के  बाद,

सुबह  की  किरणे   अब  दिखने   लगी  है !

दीखते  थे  राहों  में  कांटे  जहाँ  पर ,

अब  फूलो  की  खुशबू मेहेकने लगी  है,

बंज़र  थी  धरती  ना जाने  कबसे,

अब  बारिश  की  बूंदे  उस  पर  बरसने  लगी  है !

एक  झलक  देखी आज  किसी  की  ऐसे 

और  कुछ  पलो के  लिए    लगा,

शायद, हमें  भी  मोहब्बत  होने  लगी  है …

                  ~मिथिलेश~

Friday, June 8, 2012

चाँद नज़र आता है ...

शाम  ढलने  पर ,
अँधेरा  तो  आता  है ,
लेकिन  उस  अँधेरे  को  चीरकर,
एक  चाँद  नज़र  आता  है !
कभी  आधा, कभी  अधुरा ,
आरजू  भी  जोरो  से  लहरो  की  तरह ,
उठती  है ,
जब  ये  नज़र  आता  है  पूरा !.
        
तुम्हे  देखकर  अक्सर ,
में  सोचता  हूँ ,
तुम  भी  हो शायद,... मेरे  मन  की  तरह ,
हर  घडी , हर  वक़्त, 
ये  बदलता  रहता  है ,
हर  वक़्त एक  नयी  खोज  में  ये  रहता  है !
तुम्हारा क्या, तुम  तौ  ठीक  हो  , क्यूंकि  सितारे  भी  तुम्हारे  साथ 
लेकिन  मेरे  इस  मन  का  क्या ,
जो  रहता  है  हरपल उदास …

                 ~मिथिलेश~

 

Friday, June 1, 2012

उफ़ ये गर्मी ...

गरम  हवा ,
तपती  धरती,
जैसे  आग  के  शोलो  पे ,
जल  रहा  हो  बदन!
वो  ख़ूबसूरत  चेहरे ,
तुम्हारी  ही  वजह  से 
ढक  लेते  है ,
अपना  तन  बदन !
क्यूँ , क्या  हुआ  तुमको  ऐ सूरज ,
किसने  तुम्हे  धोका  दिया,
तुम्हारे  इस  गुस्से  ने,
सबको  यहाँ  झुलसा  दिया !
चलो  अब  तौ,
मान  भी   जाओ ,
ज्यादा  न  यूँ ,
नखरे  दिखाओ,
इस  तपती  धरती  को,
थोडा  प्यार  दिखाओ !
इस  तपती  धरती  पर,
थोडा  जल   बरसाओ ...
    ~मिथिलेश~

A short love story...








My eyes got life,
when they met your eyes.
Though you were stranger,
but you were looking so nice!
Cool breeze…
Lifting your hair in the air,
like inviting  my eyes,
to stare.
you arouse the curiosity,
of my heart,
When your eyes met
with mine.
After a long time
I experienced  something
like this,
I don’t know,
Who was that girl,
But  my heart  will certainly miss…

                ~Mithlash~


                                





Friday, May 18, 2012

सफ़र...

                                        


                                                 
हर  एक  कहानी  का  आखरी  लम्हा ,
सुना  हें, खुशनुमा  होता  है !
फिर  गमगीन  क्यूँ  है  दास्ताँ  मेरी  अभी  तक,
हर  लम्हा  क्यूँ  एक  पत्थर  सा  लगता  है! .
चला  था  जहाँ  से,
फिर  रुक  गया  हूँ  वहीँ  पर,
अब  ना तो...  कदम  साथ  देते  है
और  ना  ही  दिल  के  जज़्बात,
रोना  आता  है  खुद  पर ,
जब  देखता  हूँ ,
अपने  ये  हालात !
बढ़ते  हुए  कदम,
आज  भी  लड़खड़ाते  है  मेरे,
जब  भी  वो  बिताये  लम्हे  उसके  साथ
सामने  आते  है  मेरे .
आखिर  कब  तक  चलेगा 
ये  सफ़र  आँधियों  का
और कब   सिलसिला  बारिश  का  शुरू   होगा 
देखना  चाहता  हूँ  वो  इन्द्रधनुष 
क्या  मुझे  नसीब  होगा ….
       ~मिथिलेश~

Tuesday, May 1, 2012

Its My Birthday...



Cool  breeze blowing…
Everyday,
Like wind is celebrating
Its birthday.
She invited all, except the dust,
Because she didn’t  want, anyone to disturb
Sky, Moon, Star, Rain,
everyone was there.
Just to capture the moment,
lightening – A professional photographer was also there.
As the wind-blow the candle off
All clapped and sang B’day song.
Lightening was clicking…
this glorious moment,
though the moon was shinning less than half,
he preferred smiling rather than laugh.
Here on earth,
Sensual dance of trees with breeze,
Were stirring honey in my soul,
Standing on my roof top,
I was witnessing this metaphor…

          ~Mithlash~

Friday, April 27, 2012

A Mask...






     

Wearing mask everyday,

it not excites me anymore,

Tired of being cruel,

I made my soul impure.

Purity was flowing… 

Like a river inside my soul,

I made this river dirty,

Coz , somewhere I was insecure.

Now...I want to make it clean,
and pure.

But how?

Who will help me?

I think…no one except my  wounded soul,

I still have heart who can feel,

but before that  

let ‘s  get  it healed…
       ~Mithlash~

Wednesday, April 11, 2012

I love You..


                                               
I think...

something happened,

there in the sky.

Wind got angry and warm,

and broke all her norms,

converted  herself- a big thunderstrom,

It was roaring like, lion in the forest.

Sun was wise,

He kept himself aside.

It was dark all around,

Thunderstorm and lightning...

It was nothing but frightening!

Just to ease;  thunderstorm pain,

And to persuade her, God sent her best friend-  beautiful rain!

Rain persuaded her long,

And said, you kindly stop

And let me sing a song.


It was my mistake,

And I was entirely wrong.

Its Ok, you didn't like my view,

But the fact is that,

I Love You...

                ~M.J

P.S.: Since yesterday evening the Delhi weather is so cool and  pleasing..I am loving it:)



Friday, April 6, 2012

Forgive..



                                         
                                              
You make me  fool once,

I  forgive you twice.

If you’ll do it again,

You’ll  hear,

Forgiveness from my voice,

Am I really a stupid?

Why am I doing this?

By doing this...

They all are helping me,

to clean my soul,

In reverse they are corrupting their own.

I want to remain like this,

forever in my life.

Time will tell them,

Who is actually fool,

And who is wise..

     ~M.J~

Monday, March 19, 2012

Missing You...




                                          I Thought,

                                          I’ll  never think about you,

                                          I’ll  start and commence something
                                         new.

                                          I never imprisoned,

                                          and gave entire freedom- to my thought,

                                          They went here,

                                          They went there,

                                         They roamed all around the world.

                                         They got relaxed,

                                        when they  touched  your soul.

                                        Should I blame my heart for this?

                                        Or should I put blame on you?

                                        Culprit can be anyone,

                                        The fact is that,

                                        I am missing you..

                                                 ~M.J

Friday, March 16, 2012

My Hope..



                                        
I don’t  care,

perception of other,

leave me alone

and let me suffer.

Seed of my creativity,

waiting for rain

till then...

let me have pain.

I will paint my life,

using the color of rainbow,

Till then...

let it be Black & White.

I am not in haste

will not compromise

till I get,

The treasure of my life.

Death may come,

and kiss me anytime

so what,  if God wants so

I won’t mind…

                ~M.J

Tuesday, March 13, 2012

आओ एक दीप जलाये..



  
ज़ालिम  कितना  है  संसार 

खुशियाँ  तो  आती  है  यहाँ  पर 

पर  दुःख  की  भी  है  भरमार 

कोई  सोता

कोई  जागता  

किसी  के  हाथ  में  है  तलवार 

अपनों  पे  ही  ये  तीर  चलाते

अपनों  को  ही  ये  रुलाते 

क्या  हुआ  दिल  को  इनके 

अब  सभी   लगते  है  इनको  तिनके 

दिल  पत्थर  सा   हुआ  विशाल 

मायाजाल   इस  दुनिया  का

सारे  मासूम  बने  हैवान 

चलो  आओ  एक  आवाज़  बनाये 

हर  दिल  में  एक  दीप  जलाये

खून  नहीं  

उन्हें  प्यार  का  एक  पाठ पढाये 

क्या  ये  इतना  मुस्किल है

क्या हम अपनों से इतने जुदा है

शायद  नहीं

क्यूंकि   हर  दिल में   बसता, एक  खुदा है!

                     ~मिथिलेश झा


Monday, March 12, 2012

Congratulation!!!




                           One step back,

                          One step ahead,

                          its really a time to celebrate.

                          So let me congratulate you,

                         Coz, you got something new.

                          Its  actually a time to enjoy,

                          now you have brand new toy,

                          it will make you smile,

                          it will make you shine.

                         Someone came on this  earth,

                         Just to give you joy,

                        Coz you gave birth to a baby boy.

                        Now the natural smile will flow,

                        I am sure 

                       Now your skin will glow….
                                      ~M.J

Monday, March 5, 2012

अधूरी दास्ताँ-2


अधुरा  में

अधुरे  तुम

इस   दुनिया  की  भीड़  में

ना जाने  कहाँ  खो  गयी  तुम

अब  नज़र  तुम्हे  देख  भी  नहीं  पाती

तुम्हारी   याद  भी  इस  रूह  से  नहीं  जाती

अगर  तुम  होती  साथ

तो  मेरी  दास्ताँ  –ए- मोहब्बत
अधूरी   ना रह  जाती !

यूँ  तो  रात  भी  नहीं  होती  अधूरी

क्यूंकि  चाँद  और  सितारे  भी  समझते  है  उसकी  मजबूरी

आज  में  जिंदा   हूँ

और  मरने  की  कोई  उम्मीद  भी  नहीं

क्यूंकि  मुझे  मालूम  है

उसकी  साँसों  में  रहता  हूँ  में कहीं

अपनी   अधूरी  दास्ताँ  को

पूरा  करने  के  लिए  ही  तो  में  जिंदा  हूँ

इस  ज़िन्दगी  को  वो  जिए  खुशी  से

यही  रोज़  दुआ में  करता  हूँ !

आगे  चलूँगा , आगे  बढूँगा

और  चूमुंगा  आसमां

औरो  का  मुझे  पता  नहीं

मगर  में  करूंगा  ऐसे  पूरी

अपनी  अधूरी  दास्ताँ …

      ~मिथिलेश झा

P.S- Thank You Saru for giving me permission to use your title of the poem.:)



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